आकर्षक ब्लॉग ग्रह, उपग्रह, और ब्रह्माण्ड विज्ञान के बारे में तक्षशिला और नालंदा विश्व विद्यालयों को अग्नि की भेंट कर वो कहते हैं तुम अज्ञानी होपश्चिम की शिक्षा को ही कल्याण का मार्ग समझाया जाता हैसत्य हम जानते हैंहमें यह नहीं, विश्व गुरु की शिक्षा चाहिए- तिलक संपादक युगदर्पण. 9911111611, 9999777358.

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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :

Wednesday, November 26, 2014

शिक्षा, मैकाले की या वैदिक ?


यह पढ़ाया जाता रहा है आपके बच्चों को.....!!!! 
1. वैदिक काल में विशिष्ट अतिथियों के लिए गोमांस का परोसा जाना, 
सम्मान सूचक माना जाता था। (कक्षा 6-प्राचीन भारत, पृष्ठ 35, लेखिका-रोमिला थापर)
2. महमूद गजनवी ने मूर्तियों को तोड़ा और इससे वह धार्मिक नेता बन गया। (कक्षा 7-मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 28)
3. 1857 का स्वतंत्रता संग्राम एक सैनिक विद्रोह था। (कक्षा 8-सामाजिक विज्ञान भाग-1,
4. महावीर 12 वर्षों तक जहां-तहां भटकते रहे। 
उन्होंने 12 वर्ष की लम्बी यात्रा के मध्य एक बार भी अपने वस्त्र नहीं बदले। तथा 42 वर्ष की आयु में उन्होंने वस्त्र का एकदम त्याग कर दिया।
(कक्षा 11, प्राचीन भारत, पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा)
5. तीर्थंकर, जो अधिकतर मध्य गंगा के मैदान में उत्पन्न हुए और जिन्होंने बिहार में निर्वाण प्राप्त किया, की मिथक कथा जैन सम्प्रदाय की प्राचीनता सिद्ध करने के लिए गढ़ ली गई।
(कक्षा 11-प्राचीन भारत, पृष्ठ 101, लेखक-रामशरण शर्मा)
6. जाटों ने, गरीब हो या धनी, जागीरदार हो या किसान, हिन्दू हो या मुसलमान, सबको लूटा। (कक्षा 12 - आधुनिक भारत, पृष्ठ 18-19, विपिन चन्द्र)
7. रणजीत सिंह अपने सिंहासन से उतरकर मुसलमान फकीरों के पैरों की धूल  अपनी लम्बी सफेद दाढ़ी से झाड़ता था। (कक्षा 12 -पृष्ठ 20, विपिन चन्द्र)

कई जीत बाकी है, कई हार बाकी है,
अभी तो जिंदगी का सार बाकी है, 
यहां से चले हैं नई मंजिल के लिए,
 ये तो एक पन्ना था अभी तो पूरी किताब बाकी है 

भाई सुभाष बराला जी के भाजपा प्रदेश अध्यक्ष चुने जाने पर उन्हें हार्दिक शुभकामनाएँ ।

सज्जन सिंह8. आर्य समाज ने हिन्दुओं, मुसलमानों, पारसियों, सिखों और ईसाइयों के बीच पनप रही, राष्ट्रीय एकता को भंग करने का प्रयास किया। (कक्षा 12-आधुनिक भारत, पृष्ठ 183, लेखक-विपिन चन्द्र)
9. तिलक, अरविन्द घोष, विपिनचन्द्र पाल और लाला लाजपतराय जैसे नेता उग्रवादी तथा आतंकवादी थे। (कक्षा 12-आधुनिक भारत-विपिन चन्द्र, पृष्ठ 208)
10. 400 वर्ष ईसा पूर्व अयोध्या का कोई अस्तित्व नहीं था। महाभारत और रामायण कल्पित महाकाव्य हैं। (कक्षा 11, पृष्ठ 107, मध्यकालीन इतिहास, आर.एस. शर्मा)
11. वीर पृथ्वीराज चौहान मैदान छोड़कर भाग गया और गद्दार जयचन्द, गोरी के विरुद्ध युद्धभूमि में लड़ते हुए मारा गया।
(कक्षा 11, मध्यकालीन भारत, प्रो. सतीश चन्द्र)
12.औरंगजेब जिन्दा पीर थे। (मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 316, लेखक-प्रो. सतीश चन्द्र)
13.राम और कृष्ण का कोई अस्तित्व ही नहीं था। वे केवल काल्पनिक कहानियां हैं। (मध्यकालीन भारत, पृष्ठ 245, रोमिला थापर)
(ऐसी और भी बहुत सी आपत्तिजनक बाते आपको एन.सी.आर.टी. की पुस्तकों में पढ़ने को मिल जायेंगी) इन पुस्तकों में जो छापा जा रहा हैं, उनमें रोमिला थापर जैसी लेखको ने, मुसलमानों द्वारा धर्म के नाम पर काफ़िर हिन्दुओं के ऊपर किये गये भयानक अत्याचारों को गायब कर दिया है।  नकली धर्मनिरपेक्षतावादी नेताओं की शह पर झूठा इतिहास लिखकर एक समुदाय की हिंसक मानसिकता पर जानबूझकर पर्दा ड़ाला जा रहा है।  इन भयानक अत्याचारों को सदियों से चली आ रही गंगा जमुनी संस्कृति, अनेकता में एकता और धार्मिक सहिष्णुता बताकर नौजवान पीढ़ी को धोखा दिया जा रहा है।  उन्हें अंधकार में रखा जा रहा है।  भविष्य में इसका परिणाम बहुत घातक होगा, क्योकि नयी पीढ़ी, ऐसे मुसलमानों की मानसिकता न जानने के कारण, उनसे असावधान रहेगी और संकट में पड़ जायेगी।  सोचने का विषय है, कि आखिर किसके दबाव में सत्य को छिपाया अथवा तोड़ मरोड़ कर प्रस्तुत किया जा रहा है...??
लेखक को जानें -संघर्ष का इतिहास 40 वर्ष लम्बा है, किन्तु 2001 से युगदर्पण समचारपत्र द्वारा सार्थक पत्रकारिता और 2010 से हिंदी ब्लॉग जगत में विविध विषयों के 28 ब्लॉग के माध्यम व्यापक अभियान चला कर 3 वर्ष में 60 देशों में पहचान बनाई है। तथा काव्य और लेखन से पत्रकारिता में अपने सशक्त लेखन का विशेष स्थान बनाने वाले, तिलक राज के 10 हजार पाठकों में लगभग 2000 अकेले अमरीका में हैं। 
तिलक राज रेलन, ऐसे वरिष्ठ पत्रकार हैं, जिसने पत्रकारिता को व्यवसाय नहीं, सदा पवित्र अभियान माना है। वे कलम के धनी व युगदर्पण मीडिया समूह के संपादक हैं, जिसे केवल अपनी कलम के बल से चलाया जा रहा है । उनकी मान्यता है, कि मैकाले वादी कुचक्र ने केवल भ्रष्टाचार ही नहीं, जीवन के हर क्षेत्र को प्रदूषित किया है। यही कारण है, लड़ाई या सफाई भी व्यापक होनी चाहिए। -नकारात्मक बिकाऊ मीडिया जनता को भ्रमित करे, तब पायें 
नकारात्मक बिकाऊ मीडिया का सकारात्मक राष्ट्रवादी व्यापक सार्थक विकल्प, 
युगदर्पण मीडिया समूह YDMS.

यदि आप भी मुझसे जुड़ना चाहते हैं, तो आपका हार्दिक स्वागत है, संपर्क करें औऱ अपने सम्पर्क सूत्र सहित बताएं, कि आप किस प्रकार व किस स्तर पर कार्य करना चाहते हैं, तथा कितना समय देना चाहते हैं ? आपका आभार अग्रेषित है। युग दर्पण प्रशंसक समूह YDPS -तिलक,
 संपादक युगदर्पण मीडिया समूह  09911111611, 07531949051
हमें, यह मैकाले की नहीं, विश्वगुरु की शिक्षा चाहिए |
आओ, मिलकर इसे बनायें; - तिलक

Sunday, November 23, 2014

मिशनरीज स्कूलों में अब प्राचार्य और सरस्वती !

विहिप का दवाबः मिशनरीज स्कूलों में अब प्राचार्य और सरस्वती 

स्वतंत्रता के 67 वर्षों में प्रथम बार विलक्षण परिवर्तन 
युदस रायपुर :विश्व हिंदू परिषद के दबाव में कैथलिक मिशनरीज अंततः को झुकना ही पड़ा। बस्तर क्षेत्र के कैथलिक मिशनरीज विहिप के दबाव में अपने स्कूलों के प्रिंसिपल को फादर के बदले, अब प्राचार्य और उपप्राचार्य कहेंगे। विहिप ने कहा था कि मिशनरीज स्कूलों में जिन्हें फादर कहा जाता है उन्हें प्रायार्य, उपप्राचार्य या सर कहा जाए।

विहिप के दवाब में मिशनरीज, स्कूलों में मां सरस्वती का चित्र लगाने के लिए भी सहमत हो गए हैं। इसके साथ ही ये विहिप द्वारा सुझाए उन महापुरुषों के भी चित्र लगाएंगे, जिनका राष्ट्र हित में शिक्षा के क्षेत्र में योगदान रहा है। बस्तर के जगदलपुर में एक वक्तव्य में बताया गया है कि रविवार को इन मुद्दों पर दोनों समूहों के बीच बैठक हुई थी।

बस्तर जिले के विहिप अध्यक्ष सुरेश यादव और बस्तर कैथलिक समुदाय के प्रवक्ता अब्राहम कन्नामपला ने इस समझौते पर संयुक्त रूप से हस्ताक्षर किए हैं। आदिवासी बहुल बस्तर जिले में कैथलिक मिशनरिज के 22 स्कूल हैं। एक विशेष केरल से अधिक क्षेत्र में यहां मिशनरीज का विकास हुआ है। दोनों के संयुक्त वक्तव्य के अनुसार, 'नोटिस बोर्ड और बस्तर के सभी कैथलिक शिक्षण संस्थानों को सूचित कर दिया गया है कि फादर को प्राचार्य, उपप्राचार्य या सर से संबोधित किया जाए।
 इस वक्तव्य के साथ यह भी जोड़ा गया है कि कैथलिक समुदाय के कारण यदि कोई समुदाय, संप्रदाय और समाज को दुख पहुंचा है तो हमें खेद है। विहिप ने बस्तर क्षेत्र में घर वापसी कार्यक्रम के तहत, कई मुद्दों को उठाते हुए लंबे समय से मिशनरीज को निशाने पर रखा है। इसके तहत नवधर्मान्त्रित ईसाईयों को विहिप फिर से हिन्दू बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। विहिप  इस योजना के तहत कई वंचित गांवों में जाकर, उन हिन्दू बना रहा है।
जगदलपुर के पादरी के उस विवादित वक्तव्य पर जिसमें उन्होंने कहा था कि इस क्षेत्र में मिशनरीज स्कूल को चर्च बनाना चाहिए; विहिप ने बस्तर जिले के आयुक्त को पत्र भेजा था। पत्र की प्रति मुख्यमंत्री रमन सिंह और प्रदेश के राज्यपाल को भी भेजी गई थी। इस पत्र में विहिप ने लिखा था कि पादरी का वक्तव्य सांप्रदायकिता को बढ़ाने वाला और संकुचित विचार को दर्शाता है। 
पत्र में यह आरोप भी लगाया गया था कि यहा मिशनरीज हिन्दू समाज पर शिक्षा के बहाने अलोकतांत्रिक दबाव बना रहे हैं। विहिप मांग करती है कि फादर को प्राचार्य और गुरुजी में बदला जाए और इनके स्कूलों में मां सरस्वती की मूर्ति लगाई जाए। पादरी के वक्तव्य पर पैदा हुए विवाद को देखते हुए मिशनरिज ने सफाई दी थी, उनके निर्देशों को अपनाने का हमारा कोई प्रयोजन नहीं है। 
सुरेश यादव ने कहा, 'हम अपने वक्तव्य पर आज भी स्थिर हैं। हिन्दू विद्यार्थियों की भावना के मद्देनजर फादर को प्राचार्य करने की हमारी मांग लंबे समय से थी। हम लोगों ने मिशनरीज से पूछा था कि फादर का अर्थ क्या होता है? पिता होता है। हिन्दुओं में पिता एक ही होता है। ऐसे में हम शिक्षक को फादर कैसे कह सकते हैं? मिशनरीज ने उत्तर में कहा था कि बाइबल में इसका अर्थ गॉड फादर से हैं। मैंने कहा कि बाइबल एक धार्मिक ग्रंथ है। इसे स्कूलों में क्यों लागू करना चाहते हैं? और अंग्रेजी स्कूलों में शिक्षक को फादर नहीं कहा जाता है। यहां ऐसा क्यों है?'
दूसरी तरफ सुरेश यादव ने कहा, 'सरस्वती को मां कहने में कोई विवाद जैसी स्थिति नहीं है। मां और बहनजी तो आदर के शब्द हैं। हम लोग बुजुर्ग महिला को माताजी कहकर सम्मान देते हैं और किसी भी युवती को बहनजी कहकर आदर देते हैं। हम किसी भी संबोधन से पहले माताएं और बहनें कहते हैं। किन्तु हम किसी को पिता नहीं कहते हैं। बस्तर कैथलिक समुदाय के प्रवक्ता ने कहा कि हमारा किसी को आहत करने का विचार कभी नहीं रहा है। हमने किसी पर कभी भी फादर कहने का दबाव नहीं बनाया। हम लोग अब सरस्वती की मूर्ति लगाने पर भी राजी हो गए हैं।'
हमें, यह मैकाले की नहीं, विश्वगुरु की शिक्षा चाहिए।
आओ, जड़ों से जुड़ें, मिलकर भविष्य उज्जवल बनायें।।- तिलक

Wednesday, November 5, 2014

प्रकाशपर्व की बधाइयाँ

प्रकाशपर्व की बधाइयाँ

गुरुनानक जयंती पर विशेष 
जो बोले सो निहाल सतश्री अकाल 
132235549अखिल विश्व में बसे गुरुसिख, उनके दिल बसे नानक देव। सभी को प्रकाशपर्व की कोटि कोटि बधाइयाँ, शुभकामनाये, -तिलक समस्त युगदर्पण मीडिया परिवार YDMS
गुरपूरब के पवित्र दिन का महत्व - इसे प्रकाश उत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इस पवित्र दिन केशधारी व सेहजधारी गुरु ग्रन्थ साहब की वाणी का अमृत, तथा कीर्तन अरदास करते हैं। इसके पूर्व प्रभात फेरियाँ निकली जाती हैं। गुरुद्वारों में अखंड लंगर तो 
कृ इस लिंक पर बटन दबाएं http://dharmsanskrutidarpan.blogspot.in/2014/11/blog-post.html
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
हमें, यह मैकाले की नहीं, विश्वगुरु की शिक्षा चाहिए।
आओ, जड़ों से जुड़ें, मिलकर भविष्य उज्जवल बनायें।।- तिलक